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आखिर भाजपा को समर्थन देने के बाद क्यों नाराज हो रहे हैं नेता ?

क्या मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के वादों पर भरोसा नहीं?विधायक रविंद्र सिंह भाटी, पूर्व विधायक सुरेश टाक ताजा उदाहरण। भाजपा के जयपुर मुख्यालय से भी निराश होकर लौट रहे हैं नेता, कार्यकर्ता।

गत दिनों राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने इस बात की वाहवाही लूटी की तीन चार निर्दलीय विधायकों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। ऐसे विधायकों पूर्व विधायकों और बड़े नेताओं ने सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के साथ फोटो भी खिंचवाए। जिन तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की उसमें से एक शिव के विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने अब बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। भाटी ने चार अप्रैल को नामांकन दाखिल करने के लिए कहा है। इसी प्रकार अजमेर के किशनगढ़ क्षेत्र के पूर्व विधायक सुरेश टाक ने भाजपा में हो रही अपनी उपेक्षा से प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को अवगत कराया है। टाक ने भी हाल ही में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। ऐसे और भी नेता है तो भाजपा में आने के बाद संतुष्ट नजर नहीं आ रहे है। सवाल उठता है कि जिन नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर समर्थन देने की घोषणा की है आखिर वे भाजपा से संतुष्ट क्यों नहीं है? क्या ऐसे नेताओं को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के वादों पर भरोसा नहीं है? जो नेता भाजपा में शामिल हुए या समर्थन देने की घोषणा की उन सबने पहले बंद कमरे में शर्मा और जोशी से बात की थी। स्वाभाविक है कि इन दोनों ने कुछ न कुछ वादा किया होगा, लेकिन भाजपा में आने के बाद नेताओं को भजनलाल शर्मा और सीपी जोशी की स्थिति का अंदाजा हुआ होगा। शिव के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी को तो मुख्यमंत्री शर्मा ने अपने साथ हवाई यात्रा भी करवाई थी। लेकिन अब विधायक भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। यदि भाटी लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं तो जैसलमेर बाड़मेर सीट से भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी की जीत मुश्किल में पड़ जाएगी। इसी प्रकार किशनगढ़ के पूर्व विधायक सुरेश टाक नाराज रहते हैं तो अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। टाक ने हाल ही के विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और 80 हजार वोट प्राप्त किए। जिस नेता ने तीन माह पहले 80 हजार वोट प्राप्त किए हो, यदि वह भी उपेक्षित समझ रहा हो तो भाजपा के आंतरिक हालातों का अंदाजा लगा लेना चाहिए। जानकार सूत्रों की माने तो मौजूदा समय में राजस्थान भाजपा में कोई सर्वमान्य नेता नहीं है। यही वजह है कि समर्थन देने वाले नेताओं को एकजुट नहीं रखा जा रहा। इस समय उनका सारा फोकस स्वयं के निर्वाचन क्षेत्र चित्तौड़ पर लगा हुआ है। भले ही निर्दलीय विधायक चंद्रभान आक्या ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी हो, लेकिन सीपी जोशी से अभी तक भी मन और दिल नहीं मिला है। सीपी जोशी प्रदेश की सभी 25 सीटों पर पांच पांच लाख मतों से जीत का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन चित्तौड़ में उनकी राह आसान नहीं है। जहां तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का सवाल है तो वह दिल्ली से प्राप्त निर्देशों के अनुरूप ही पूर निष्ठा और मेहनत के साथ काम कर रहे हैं। गर्मी के दिनों में भी 18 घंटे काम करने में भजनलाल शर्मा कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वसुंधरा राजे का झालावाड़ पर फोकस:एक समय था जब राजस्थान में भाजपा की कमान वसुंधरा राजे के हाथ में होती थी, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में राजे ने अपना फोकस बारां-झालावाड़ संसदीय सीट पर कर रखा है। यहां से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह लगातार पांचवीं बार भाजपा के उम्मीदवार है। पांचवीं जीत के लिए राजे कोई कसर नहीं छोड़ रही है। राजे के समर्थक भी धीरे धीरे झालावाड़ पहुंच रहे हैं। राजे के अधिकांश समर्थक स्वयं को उपेक्षित समझ रहे हैं। बिखरा है भाजपा मुख्यालय:इन दिनों जयपुर स्थित भाजपा का मुख्यालय भी बिखरा हुआ है। 26 मार्च को झुंझुनूं क्षेत्र के पूर्व विधायक नंद किशोर मेहरिया, राजेंद्र भानू, मधुसूदन भिंडा अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होने के लिए आए थे। बड़े नेताओं से पहले ही बात हो गई थी, लेकिन चार घंटे तक इंतजार करने के बाद भी बड़े नेता नहीं आए तो झुंझुनूं के नेता निराश होकर लौट गए। इस घटना से प्रतीत होता है कि भाजपा मुख्यालय में भी माहौल सकारात्मक नहीं है। यदि पार्टी मुख्यालय में जिम्मेदार नेता होते तो झुंझुनूं क्षेत्र के नेताओं को निराश नहीं होना पड़ता। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि जल्द ही हालातों में सुधार हो जाएगा। राष्ट्रीय नेतृत्व ने वी सतीश को चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा है। आने वाले दिनों में वी सतीश और विनय सहस्त्रबुद्धे के हाथों में भाजपा की कमान होगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री का पद भी रिक्त पड़ा है।

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