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अजमेर संसदीय क्षेत्र में भाजपा विधायकों की जीत का अंतर बहुत कम

विधानसभा चुनाव में दूदू को छोड़कर अजमेर संसदीय क्षेत्र में भाजपा विधायकों की जीत का अंतर बहुत कम।कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को 94 हजार वोट ज्यादा मिले। इस बार 19 लाख 87 हजार मतदाता।भाजपा को लोकसभा चुनाव में मोदी को चेहरे पर ही आस।=====================अजमेर संसदीय क्षेत्र में 26 अप्रैल को होने वाले चुनाव में इस बार 19 लाख 87 हजार अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे, इनमें से चार लाख 75 हजार मतदाता युवा है, जिनकी उम्र 30 से 40 वर्ष के बीच है। भाजपा ने मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी और कांग्रेस ने अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने 2019 का चुनाव करीब चार लाख मतों से जीता था। इस बार पांच लाख मतों की जीत का अंतर रखा गया है, लेकिन तीन माह पहले हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखा जाए तो भाजपा के विधायकों की जीत का अंतर बहुत कम रहा है। यह सही है कि संसदीय क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 में भाजपा को जीत मिली है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को 5 लाख 82 हजार 374 जबकि कांग्रेस को 4 लाख 87 हजार 684 मत मिले। यानी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को 94 हजार 690 मत ज्यादा मिले। सर्वाधिक मतों की जीत दूदू में रही। दूदू में मौजूदा उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कांग्रेस के बाबूलाल नागर को 36 हजार मतों से हराया। केकड़ी में भाजपा के शत्रुघ्न गौतम ने कांग्रेस के रघु शर्मा को 7 हजार 542 मतों से हराया। अजमेर उत्तर से भाजपा के वासुदेव देवनानी (अब विधानसभा अध्यक्ष) ने कांग्रेस के महेंद्र सिंह रलावता को 4 हजार 682 मतों से हराया, लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञान सारस्वत ने 26 हजार मत प्राप्त किए। अजमेर दक्षिण में भाजपा की अनिता भदेल ने सीधे मुकाबले में कांग्रेस की द्रौपदी कोली को 4 हजार 446 मतों से हराया। पुष्कर में भाजपा के सुरेश रावत (अब कैबिनेट मंत्री) ने कांग्रेस की श्रीमती नसीम अख्तर को 13 हजार 869 मतों से हराया, लेकिन यहां निर्दलीय उम्मीदवार अशोक सिंह रावत ने 16 हजार तथा डॉक्टर श्री गोपाल बाहेती ने 8 हजार 500 मत प्राप्त किए। नसीराबाद में भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप लांबा ने कांग्रेस के शिव प्रकाश गुर्जर को मात्र एक हजार 135 मतों से हराया। यहां निर्दलीय उम्मीदवार शिवराज पलाड़ा ने 16 हजार मत प्राप्त किए। मसूदा से भाजपा उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह कानावत ने कांग्रेस के राकेश पारीक को 26 हजार 716 मतों से पराजित किया। लेकिन यहां निर्दलीय उम्मीदवार वाजिद चीता ने 29 हजार 500 वोट प्राप्त किए। वहीं किशनगढ़ में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। किशनगढ़ में कांग्रेस के प्रत्याशी विकास चौधरी ने निर्दलीय उम्मीदवार सुरेश टाक को 3 हजार 620 मतों से हराया। यहां यह उल्लेखनीय है कि भाजपा के उम्मीदवार भागीरथ चौधरी 37 हजार 500 वोट प्राप्त कर तीसरे नंबर पर रहे। यह बात अलग है कि अब भाजपा ने भागीरथ चौधरी को ही लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि यदि कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के वोट जोड़ लिए जाए तो भाजपा के मुकाबले कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के वोटों की संख्या ज्यादा है। मोदी के चेहरे पर आस:विधानसभा चुनाव में मतों का विभाजन कैसा भी रहा हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे की आस है। भाजपा का मानना है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, अयोध्या में राम मंदिर बनवाने, तीन तलाक जैसी बुराई पर कानून बनाने, पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने जैसे कार्यों का श्रेय पीएम मोदी को ही जाता है। इसलिए लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के सामने मोदी का चेहरा होगा। 2019 में भाजपा को चार लाख मतों से जीत हासिल हुई थी।

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