लोकसभा चुनाव 2024 के शुरुआती दौर में लगा था कि कांग्रेस इस बार 25-0 वाला आंकड़ा बदलने की दिशा में काम कर रही है चर्चा भी होने लगी थी कि 4-5 सीट पर कांग्रेस अच्छा मुकाबला करके उलटफेर कर सकती है। लेकिन पार्टी का होमवर्क तो कमजोर निकला। जयपुर, राजसमन्द, भीलवाड़ा व सीकर से ऐसा रायता फैला कि अब समेटता नजर नहीं आ रहा सुदर्शन रावत ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया तो प्रताप सिंह व बृजेन्द्र ओला ने कह दिया कि चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे, टिकट भी नहीं मांगी थी, लेकिन पार्टी संकट में है, तो मैदान में आना पड़ा। जयपुर में जल्दबाजी में टिकट बदलना भी सोशल इंजीनियरिंग खराब कर गया। सबसे ज्यादा “वर्दी वाले” को टिकट देने की चर्चा है। ऐसा क्या “जादू” कर दिया कि कहीं से भी लड़ा दो। भीलवाड़ा न सही, राजसमन्द से लड़ लेंगे शायद कांग्रेस की नजर में ये ही ऐसे उम्मीदवार है जो राजस्थान में कही से भी जीत सकते है। खैर कांग्रेस की जीत की अपनी रणनीति होगी कोटा में धारीवाल-गुंजल वाला वाकया तो ध्यान ही है
किस्से भाजपा के भी कम नहीं है। बाड़मेर-जैसलमेर हो या फिर जोधपुर अब नया नाम झुंझुनूं का है। जोधपुर में तो जल्दी ही डैमेज कंट्रोल हो गया, लेकिन बाड़मेर में अभी कशमकश जारी है। झुंझुनूं के फतेहपुर में “राहु-केतु” व “गेटआउट” की गूंज रही। भीलवाड़ा में उम्मीदवार तय नहीं हो पा रहा।
विवाद भले ही दोनों दलों में हो, लेकिन डैमेज कंट्रोल करने में अंतर है। आखिर में लगता है कि कांग्रेस ने बनी बाजी खुद ही बिगाड़ ली, वरना कुछ जगह परिस्थिति अच्छी थी